High blood pressure

हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)

आज जिसे देखो ‘हाई ब्लड प्रेशर की दवा ले रहा है। क्या पुरूष क्या स्त्री, यहां तक कि बच्चों में भी यह रोग पाया जाने लगा है। सब आधुनिक जीवन की देन है। आज पैसा है, ऐशोआराम है, तेज गति है। सुविधाओं का अंत नहीं। आंखें चुंधियाती चकाचौंध हैं, गलाकाट प्रतियोगिताओं की मारामारी और है प्रकृति के नियमों का अविवेकपूर्ण उल्लंघन। ऐसे में सुकून ही एक ऐसी नायाब वस्तु है जिसकी चाह हर एक को है लेकिन जो जीवन से लुप्त हो चला है।

मशहूर हृदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर विमल छाजेर के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर का मुख्य कारण स्ट्रैस है। जैसे ही व्यक्ति सुकून से भरा होता है, ब्लड प्रेशर नीचे आ जाता है। कम कार्य हो, समय का दबाव न हो, एक सुखी संतुष्ट पारिवारिक जीवन हो, निन्यानवे का फेर न हो, व्यक्ति अहम् से बौराया न हो और ईश्वर में आस्था हो, यही हाई ब्लड प्रेशर के लिये सबसे अच्छा यानी कि बेस्ट प्रेस्क्रिप्शन है।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण :-

. असमंजस, कनफ्यूजन और थकान

. उल्टी जैसी फीलिंग और पेट की गडबडी।

. दृष्टि में बदलाव या समस्या

. अत्यधिक पसीना आना

. पीलापन या ललाई

. नाक से खून आना

. बेचैनी (नर्वसनेस)

. धडकन का तेज या असामान्य होना

. कानों में घंटी सी बजना

. इम्पोटेंस

. सिरदर्द

. सिर घूमना, चक्कर से आना

डेश डायट :- डेश डायट का मतलब है डायटरी एप्रोचेज टू स्टॉप हाइपरटेंशन। यानी कि हाइ ब्लड प्रेशर को रोकने के लिए अपनी डायट को ठीक रखना। इसमें जो डायट का सुझाव दिया जाता है वह है अनाज, दाल, फल, सब्जी और कम वसा युक्त डेयरी प्रॉडक्ट्स डबल टोन्ड मिल्क या चिकनाई हटाकर दूध से बनी चीजें।

डेश डायट लेने से आपका ब्लड प्रेशर मेंटेन रहेगा और आपका कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लाइसेरिड लेवल मेंटेन रहेगा। आपके शरीर का वजन मेंटेन रखने में ये सहायक होगा।

आपके रक्त में ग्लूकोज लेवल मेंटेन रहेगा। अस्थियों के रोग से बचाव होगा।

डेश डायट में कम वसायुक्त डेयरी प्रॉडक्ट्स जो कि कैल्शियम युक्त होते हैं, शामिल हैं। ये हाई ब्लड प्रेशर को कम करते हैं। विभिन्न स्टडीज से पता चलता है कि भरपूर कैल्शियम लेने से हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है।

कुछ अन्य बातें जिनको आपको अपना हाई ब्लड प्रेशर नॉर्मल रखने के लिये ध्यान रखना होगा वे हैं :-

सर्वप्रथम खाने में नमक की मात्रा कम कर दें। दाल या सब्जी में अतिरिक्त नमक कभी न डालें। सलाद में नमक की बिल्कुल जरूरत नहीं होती। पापड अचार, चटनी, प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।

जैसा कि ऊपर लिखा गया है हाई ब्लड प्रेशर में कैल्शियम मुफीद है, इसलिए कम से कम ८०० मिलीग्राम कैल्शियम अवश्य लें। यह तीन कप दूध से प्राप्त हो जाता है।

लहसुन की ३-४ कलियां प्रतिदिन लेने से भी ब्लड पे्रशर ठीक रहता है।

प्रतिदिन २० ग्राम फाइबर लेने से कोलेस्ट्रॉल में भी कमी आती है और बी पी भी घटता है। आहार में फाइबर, चोकर वाले आटे की रोटी, दाल, फल जैसे सेब, आम, केले, आडू इत्यादि तथा ओटमील दलिया कॉर्न से प्राप्त हो सकता है।

अपने आहार में विटामिन सी की मात्रा बढाएं। ये अमरूद, आंवला, हरी मिर्च, टमाटर तथा खट्टे फलों में पाया जाता है। बी.पी कम करने के लिए विटामिन सी की टेबलेट भी ली जा सकती है।

रिसर्च दर्शाते हैं कि पोटेशियम भी बी.पी लो करता है। अमेरिकी डायटीशियन जेम्स वेल्स की मानें तो हाई ब्लड प्रेशर की प्राब्लम वालों को कम से कम २०० मिलीग्राम पोटेशियम रोज लेना चाहिए। एक आलू में ८४४ मिलीग्राम और एक केले में ४५१ मिलीग्राम पोटेशियम है। संतरा और दूध में भी काफी पोटेशियम होता है।

उच्च रक्तचाप (हाई बी पी) चूंकि लाइफस्टाइल से जुडी बीमारी ज्यादा मानी जाती है तो इससे संबंधित कुछ बातों को भी ध्यान में रखा जाए तो अच्छा होगा।

हंसना अच्छे स्वास्थ्य का पासपोर्ट है। ऐसी फिल्में प्रोग्राम्स सीरियल्स देखिए जो आपको हंसी से दोहरा कर दें। तनाव कम होगा तो बी पी भी कम होगा।

क्रोध बी पी का दुश्मन है। चीखने चिल्लाने, टैंपर लूज करने से बी पी एकदम बढता है। बोली में मिठास घोलकर मुलायम स्वर में बोलने की आदत डाल लेंगे तो झगडे भी कम होंगे और क्रोध भी दूर रहेगा।

एरोबिक व्यायाम बी.पी से बचाता है। तनाव दूर करता है। मनोवैज्ञानिक डॉक्टर सिगमैन के अनुसार पूरे दिन में कम से कम आधा घंटा सिर्फ अपने लिए निकालिए। इस समय आप अपना मनपसंद कुछ भी काम कर सकते हैं बशर्ते उससे आपका मनोरंजन हो और आप रिलेक्स फील करें।

रिसर्च बताते हैं कि मोटापा कम करने से बी पी लो होता है। एक स्टडी के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर के ५० प्रतिशत पेशेंट्स को वजन कम करने के बाद दवा लेने की जरूरत ही नहीं रही।

तनाव आधुनिक जीवन का एक हिस्सा बन चुका है अब यह आप पर निर्भर करता है आप इसे कैसे मैनेज करें। लगातार काम न करें। इसी तरह टीवी के आगे घंटों चिपके न बैठे रहें बीच में ब्रेक लेना, थोडा हल्का फुल्का व्यायाम या आंखें मूंद कर रिलेक्स करना अच्छा रहेगा।

आजकल मेडिटेशन की अहमियत भी लोग खूब समझने लगे हैं। यह एक अच्छा साइन है। ध्यान से चित्त शांत होता है। एकाग्रता लाने के लिए मन को साधना जरूरी है और ये ध्यान, मेडिटेशन से संभव हो सकता है।इन बातों का अगर ध्यान रखा जाए तो कोई कारण नहीं कि आपका बी पी १२०/८० ना बना रहे।

-डॉ. पंकज यादव

How to be healthy

अगर आप खाने मेंं फल और सब्जियाँ खाएं तो उससे आपको काफी ऊर्जा (शक्ति) प्राप्त होगी और ऐसे में आपका शरीर भी फिट रहेगा क्योंकि फल और सब्जियाँ बिल्कुल शुद्घ माने जाते हैं और इसमें कोई चिकनाई भी नहीं पाई  जाती।

व्यायाम करने से भी आप अपने शरीर को फिट रख सकते हैं। अगर आप रोजाना एक घंटा व्यायाम करते हैं तो आपका शरीर फिट ही नहीं बल्कि आपका मन भी काफी आनंदित होगा क्योंकि जब आप व्यायाम करते हैं तो जितने भी आप के शरीर के अंदर विषैले तत्व होते हैं वे पसीने द्वारा बाहर निकल जाते हैं।

अगर आप अपने आप को फिट रखना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यह जानना होगा कि फिटनेस का मूल अर्थ क्या होता है। अगर आप इसका मूल अर्थ जान लेते हैं तभी आप अपने आप को फिट रखने में कामयाब हो सकते हैं। इसके लिए आपको फिटनेस संबंधी पुस्तक, पत्रिकाएं पढनी  चाहिए।

इसके लिए आपको एक सही प्रशिक्षक की आवश्यकता होगी क्योंकि प्रशिक्षक के बिना आप शरीर के आकार को सही नहीं बना पाएंगे और इसके लिए आपको अपने प्रशिक्षक पर निर्भर रहना होगा। वही आपको फिट रहने के सही तरीके बताएंगे।

आखिरी और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप फिट रहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने आप पर विश्वास होना चाहिए कि मैं फिट हूँ। आप अच्छे तभी दिखेंगे जब आप दिमागी तौर पर स्वस्थ रहेंगे। इसके लिए आपको इन सारी बातों को ध्यान में रखना होगा तभी आप अपने शरीर को स्वस्थ या फिट रखने में कामयाब हो सकते है।
-Sifu Sonu Kumar Giri

Healthy Apple

स्वास्थ्यवर्द्धक है सेब (Healthy Apple)

शरीर की मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं के विकास में फलों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। पोषक तत्वों से युक्त फलों में सेब का एक विशिष्ट स्थान है क्योंकि सेब अत्यंत स्वास्थ्यवद्र्घक फल है। इसलिये कहा गया है कि प्रति दिन एक सेब का सेवन करने से डॉक्टर को बुलाने की जरूरत नहीं पडती।

सेब में विटामिन ए, बी, सी, प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसमें सैल्यूलोज और कार्बोहाडे्रट भी पर्याप्त मात्रा में होता है। इसमें कुछ धातुयें भी होती हैं। इनके अलावा इसमें भौतिक एसिड एवं फॉस्फेट आदि भी होते हैं। सेब हमारे लिये कितना लाभदायक हैं इसका ब्यौरा देना मुश्किल है क्योंकि वह शरीर को अनन्य शक्ति प्रदान करता हैं। इसके बारे में भाव प्रकाश निघण्टु में लिखा हैं –

सेब समीर पित्त्प्रं बृंहणं कफ कृद गुरू।

रसे पाके च मधुरं शिशिरं रुचिं शुक्रकृत।।

अर्थात् सेब गुणों की खान है। सेब के फल का सेवन वात एवं पित्त का शमन करने वाला, पौष्टिक कफकारक, भारी पाक तथा रस में मधुर, शीतल, रूचिकारक और वीर्यवद्र्घक है।

सेब के हमारे लिये कई उपयोग हैं। इसका उपयोग हृदय, मस्तिष्क, यकृत, और आमाशय को बल देने वाला होता है तथा विटामिन बी आदि पोषक तत्वों से युक्त होने के कारण शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने वाला होता है। प्रतिदिन एक सेब फल छिलका सहित सेवन करने से शरीर हृष्ट पुष्ट, फुर्तीला और शक्तिशाली बना रहता हैं।

गर्भवती महिलाओं बच्चों, रोगियों एवं वृद्घों के लिए यह फल बहुत ही लाभदायक सिद्घ होता है। रोजाना एक सेब खाने से व्यक्ति को कब्ज नहीं होती क्योंकि सेब का रस पाचन क्रिया को तेज करता है। पका मीठा और लाल रस का वाला सेब खाने में मीठा और चबाने में फुसफुसा होता है। सेब को चबाने से जबडे में फंसे भोजन के अवशिष्ट अंश और दूसरे टुकडे निकल जाते हैं।

खाने के बाद एक सेब खाने से दांतों को सुबह शाम साफ करने से दांत स्वस्थ रहते हैं। पथ्य के रूप में सेवन योग्य पदार्थों में सेब फल को उत्तम पथ्य माना गया है। अतिसार, बवासीर, कब्ज, पेचिश, अजीर्ण जैसे उदर विकारों से ग्रस्त, जीर्ण ज्वर, पित्तज्वर, मोतीझरा (टायफॉइड) जैसे ज्वर से ग्रस्त, हृदय विकार, प्लीहा वृद्घि, यकृत वृद्घि, मेदवृद्घि, अश्मरी (पथरी), रक्त विकार, सिर दर्द, शारीरिक और दिमागी कमजोरी, रात या पित्त प्रकोप जन्य विकार तथा श्वास कष्ट जैसी व्याधियों से ग्रस्त रोगियों के लिये सेब उत्तम पथ्य है।

कोई  जीर्ण रोग लम्बे समय से रोगी के शरीर को निर्बल करता रहता है, पाचन क्रिया बिगड जाती है जिससे या बार-बार थोडा सा पतला दस्त होता हैं या कब्ज बना रहता है तो शरीर शिथिल और कमजोर हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि अन्न सेवन न करके सेब का सेवन किया जाये तो थोडे समय में पाचन क्रिया सुधरने से शरीर में जैसे नई जान आ सकती है। चुस्ती, फुर्ती और शक्ति आने लगती है, शरीर पुष्ट और सुडौल होने लगता है और रोगी का चेहरा भी सेब की तरह सुंदर और तेजस्वी हो जाता है। इस तरह सेब एक पौष्टिक सुपाच्य और बलवीर्यवर्द्धक  पथ्य सिद्घ होता है। सेब के कुछ औषधीय घरेलू प्रयोग निम्न हैं –

ज्वर :- ज्वर के समय में सेब का सेवन गुणकारी एवं उत्तम रहता है।

नेत्र पीडा :- जिनको अक्सर सर्दी जुकाम होता रहता हो, सिर में भारीपन और दिमागी कमजोरी का अनुभव होता हो, उनको भोजन के पहले एक सेब खाना चाहिये।

उच्च रक्तचाप :- सुबह शाम एक सेब फल खाने से उच्च रक्तचाप के रोगी को लाभ होता है।

पथरी एवं पेशाब जलन :- प्रतिदिन सेब का सेवन करने से कितनी भी पुरानी पथरी होगी, गलकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जायेगी। पेशाब में जलन को भी यह कम कम करता है।

पेट में कृमि :- रात को सोने से पहले  सेब फल खाते रहने से १०-१५ दिन में पेट के कृमि मल के साथ निकल जाते हैं। इस प्रयोग में सेब खाने के बाद में पानी नहीं पीना चाहिये।

खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर हो तो खट्टे सेब का रस निकाल कर मस्सों पर लगाने से खून आना बंद हो जाता है और मस्से धीरे-धीरे टूट गिर जाते हैं।

भूख की कमी :- कच्चे खट्टे सेब का रस निकालकर शक्कर मिलाकर, १-२ कप सुबह ७-८ दिन पीने से भूख खुल कर लगने लगती है।

सूखी खांसी :- सेब फलों का रस निकालकर थोडी मिश्री मिलाकर पीने से सूखी खांसी ठीक होती हैं।

उल्टी :- सेब फल के रस में थोडा सा सेन्धा नमक मिलाकर पिलाने से उलटियां होना बंद हो जाता है।

पतले दस्त :- पतले दस्त लगते हों तो कच्चे सेब फल खूब चबा कर खाने के साथ ही कच्चे सेब फल का रस पीने से पाचन शक्ति बढती है और पाचन होने से दस्त बंध कर आने लगते हैं। इतना ही नहीं, इनके अलावा सेब के कई शर्बत भी बनाये जाते हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बहुपौष्टिक और शक्तिवद्र्घक भी होता है। साथ ही रूचिकारी और सुपाच्य भी होता है। सेब का मुरब्बा भी बनाया जाता है। यह अत्यंत ही लाभदायक होता है। भोजन के घंटे भर बाद दोपहर में या प्रात: काल नित्यकर्म से निवृत होकर सेब का मुरब्बा खाने से मस्तिष्क एवं हृदय को बल मिलता है। मुरब्बा खाने से नींद अच्छी आती है। इसके सेवन से कई बुरे व्यसनों से भी छुटकारा मिलता है।

इस प्रकार सेब मानव जीवन के लिये स्वास्थ्यवद्र्घक ही नहीं बल्कि अत्यंत महत्त्वपूर्ण भी होता है।

-श्री सोनू कुमार गिरी / Shri Sonu Kumar Giri

Exercise, Stay Healthy 

व्यायाम करें, स्वस्थ रहें (Exercise, stay healthy)

आधुनिक समय की भाग दौड की जिन्दगी में व्यक्ति इतना तनावग्रस्त हो गया है कि वह कई मानसिक व शारीरिक बीमारियों के बीच घिर गया है। आज हर किसी व्यक्ति का एक लक्ष्य है और वह अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहता है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए व्यक्ति दिन-रात जुटा रहता है। उसे अपने स्वास्थ्य की कतई चिंता नहीं होती। अंत में वह अपने लक्ष्य को तो पा लेता है परन्तु अपने स्वास्थ्य को खो बैठता है। एक नौकरीपेशा व्यक्ति रात देर से आने के कारण सुबह देर से उठने पर जल्दी में कार्यालय जाने के लिए तैयारी करने लगता है तथा शाम को थका-मांदा घर आकर खाना खाकर बिस्तर पकड लेता है। उसे सिर्फ अपने कार्य की परवाह होती है। ठीक ढंग से न खाना, पर्याप्त आराम न करना, हमेशा अंदर-बाहर की चिंता में रहने में स्वास्थ्य खराब होना स्वाभाविक है।

उसे अपने व्यक्तिगत विषय में सोचने के लिए वक्त ही नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति आज विश्व के हर दूसरे स्त्री-पुरूष की है चाहे वह कामकाजी हो या घरेलू। सभी अपने दैनिक कार्यो में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें अपने विषय में सोचने व करने के लिए वक्त ही नहीं है परन्तु आजकल इस स्थिति में कुछ बदलाव आ रहा है।

अगर हम नियमित रूप से व्यायाम करें तो हम इन सभी मानसिक व शारीरिक बीमारियों से बच सकते है। दिन भर स्फूर्ति अनुभव होगी तथा आपके तनाव में भी धीरे-धीरे कमी आयेगी। दिल्ली जैसे महानगर में प्रदूषण के बीच रहने से हमारे फेफडों को स्वच्छ आक्सीजन नहंीं मिल पाती। सुबह-सुबह घूमने से तथा व्यायाम करने से नये दिन की शुरूआत ताजगी, उल्लास व शक्ति के साथ होती है।

व्यायाम व सैर करने वाली महिलाओं की सही उम्र का पता नहीं लगाया जा सकता। इसके द्वारा शरीर में स्फूर्ति व जोश का संचार होता है जो हर किसी की तमन्ना होती है।

तनावग्रस्त युवक-युवतियां अपनी वास्तविक उम्र से कई वर्ष अधिक बडे लगते हैं। आज जिन नायक- नायिकाओं के सुडौल व आकर्षित शरीर को देखकर युवा जगत काफी आकर्षित है वे सभी अपने को आकर्षक बनाने के लिए व्यायाम को ही आधार बनाते हैं तथा संतुलित व पोषक भोजन आदि पर विशेष ध्यान देते हैं। आजकल व्यायाम इतना महत्वपूर्ण हो गया है। डाक्टर भी अनेक बीमारियों के लिए कोई विशेष व्यायाम करने का परामर्श देते है।

अगर आपको भी अपने शरीर को स्वस्थ, सुंदर, सुडौल व आकर्षक बनाना है तो नियमित रूप से व्यायाम करें, जिससे आपको स्फूर्ति का अनुभव होगा। अपने शरीर में बदलाव करने के साथ-साथ उचित भोजन लेना भी आवश्यक है जिसमें हरी सब्जियां, फल, दालें व दूध आदि लाभकारी सिद्घ होते हैं। एक व्यक्ति अगर शुरू से ही व्यायाम करता है तो उसे बुढापे में होने वाली परेशानियों का सामना नहीं करना पडता।

-श्री सोनू कुमार गिरी / Shri Sonu Kumar Giri

Do not afraid of back pain

पीठ दर्द से न घबरायें (Back Pain)

बैक पेन या पीठ दर्द एक ऐसी समस्या बन गई है जिसका सामना आमतौर पर अधिकतर व्यक्तियों को करना पड रहा है। कभी हम कुछ उठाने के लिए झुके नहीं कि दर्द का आभास होता है। कई बार दर्द इतना तेज होता है कि सहन नहीं होता। ऐसे समय में कई बार पेन किलर लेकर गुजारा करना पडता है और कई बार डॉक्टर के पास भागना पडता है। फिर एक्सरे, एम आर आई आदि करवाए जाते हैं ताकि दर्द के कारण को जाना जा सके और कई बार तो सर्जरी तक करवानी पड जाती है।

विशेषज्ञों के अनुसार पीठ दर्द का यह अर्थ नहीं कि कुछ भारी उठाने से आपको स्थायी नुकसान हुआ है। कई बार रोगी को बहुत दर्द महसूस होता है पर कोई विशेष समस्या नहीं होती और कई बार कोई गंंभीर कारण होता है पर बहुत कम दर्द होता है, इसलिए दर्द होने पर एकदम से व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए।

वैसे कोई भारी सामान उठाने पर बहुत कम संभावना होती है कि डिस्क को नुकसान पहुँचा हो, हां, अगर आपको ओस्टियोपोरोसिस होने की संभावना है तो हो सकता है आपकी रीढ की कशेरूका में फ्रेक्चर हुआ हो। अधिकतर पीठ की मांसपेशियों और स्नायुओं में चोट पहुंचती है और जो हमारी निचली पीठ को सहारा देते हंै। यह चोट जरूरी नहीं कि भारी चीज उठाने पर ही आए बल्कि नीचे झुकने पर भी आ सकती है।

ऐसा दर्द कुछ हफ्ते आराम करने पर अपने आप ठीक हो जाता है पर इसका यह अर्थ नहीं कि आप २४ घंटे बिस्तर पर ही पडे रहें क्योंकि इससे ठीक होने में देर होगी और आपकी मांसपेशियां क्रियाशील न रहने के कारण अकड जाती हैं, इसलिए ऐसा नहीं कि सब काम बंद कर दें। हल्के हल्के कार्य जैसे पैदल चलना, घर के कार्य करें पर अधिक व्यायाम, भारी चीजें उठाना आदि बिल्कुल न करें।

अगर ३-४ सप्ताह तक दर्द में आराम नहीं मिलता तो यह जानने के लिए कि दर्द का कोई गंभीर कारण तो नहीं है, आप डॉक्टर की सलाह से एक्स-रे या एम आर आई करवा सकते हंैं। इसके अतिरिक्त अगर आपको बुखार, पसीना आ रहा है या आपको हाल ही में कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन हुआ है तो आपको ‘स्पाइनल इंफेक्शन’ हो सकता है। अगर आपको ओस्टिओपोरोसिस होने की संभावना अधिक हो या हाल ही में कोई दुर्घटना हुई हो तो स्पाइनल फ्रेक्चर भी हो सकता है। यह आपका डॉक्टर आपको रिपोर्ट देखने के पश्चात् बता सकता है। यह सब तो गंभीर कारण हुए पीठ दर्द के।

पीठ दर्द में अधिकतर ‘मसाज थेरेपी’, ‘फिजिकल थेरेपी’ व ‘एक्यूप्रेशर’ की सहायता ली जाती है। फिजिकल थेरेपी में फिजिकल थेरेपिस्ट मसाज व व्यायाम, सही पोस्चर आदि के बारे में सलाह देते हैं और एक्यूप्रेशर में शरीर के विभिन्न बिन्दुओं पर प्रेशर दिया जाता है जिससे एनर्जी का बहाव पीठ में होता है। इसके अतिरिक्त बैक बेल्ट, मेग्नेट व अन्य उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

शोधों से यह भी सामने आया है कि स्टे्रचिंग व स्टे्रंथनिंग एक्सरसाइज द्वारा भी पीठ दर्द में आराम मिलता है। पैदल चलना, तैराकी व साइकिलिंग आदि एक्सरसाइज अधिक लाभ पहुंचाते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट आपके लिए एक्सरसाइज प्रोग्राम निर्धारित करते हैं पर एक्सरसाइज का नतीजा आने में कुछ समय लगता है इसलिए इसमें धैर्य की जरूरत होती है।

पीठ दर्द की संभावना को कम करने के लिए आप अपनी नियमित दिनचर्या में कुछ बातों पर ध्यान दें।

धूम्रपान न करें :- धूम्रपान आपकी हड्डियों को कमजोर बनाता है, डिस्क को नुकसान पहुंचाता है और रीढ के स्नायुओं को कमजोर बनाता है, इसलिए धूम्रपान का त्याग करें अपनी पीठ के स्वास्थ्य के लिए।

वजन पर नियंत्रण रखें :- वजन बढना कई गंभीर रोगों का कारण है और जब आपका वजन अधिक होता है तो इसका भार आपकी रीढ को सहना पडता है। इससे भी पीठ दर्द जैसी समस्या का सामना करना पड सकता है, इसलिए अगर आपका वजन अधिक है तो उसे नियंत्रण में लाएं।

सही मैटे्रस का चुनाव करें व सही मुद्रा में नींद लें :- आपका बिस्तर बहुत सख्त भी नहीं होना चाहिए और न ही बहुत नरम। इसके अतिरिक्त जब एक तरफ सोएं तो अपने घुटनों के बीच एक तकिया रखें। अपने सिर के नीचे छोटा सा तकिया रखें और अपने घुटनों के नीचे एक बडा तकिया रखें। सदैव सीधा सोने का प्रयास करें। पेट के बल कदापि न लेटें। आपके पलंग की सतह भी बिल्कुल सपाट होनी चाहिए।

  • जब आप अपने हाथों में एक से अधिक सामान उठाए हुए हैं तो दोनों हाथों में समान वजन लें।
  • जब आपने अधिक ऊंचाई से कोई वस्तु उठानी हो तो सदैव सीढी या टेबल का सहारा लें।
  • अगर आपने कोई भारी सामान आगे ले जाना है तो उसे पीछे से धकेलें। कभी भी उसे आगे की ओर से खींच कर उठाने का या खिसकाने का प्रयास न करें।
  • कभी भी कुछ उठाने के लिए एकदम न झुकें। पहले घुटनों के बल बैठ जाएं, फिर कुछ उठाएं।
  • इसके अतिरिक्त सही तरह से खडा होना, बैठना, काम करना आदि बहुत आवश्यक है। आपकी मुद्रा ऐसी होनी चाहिए जिससे आपके मेरूदण्ड पर कम से कम भार पडे। चलते समय कभी झुक कर न चलें क्योंकि चलते समय यह महत्त्वपूर्ण है कि आपके शरीर के किन हिस्सों पर अधिक प्रभाव पडता है।

काफी देर तक बैठे न रहें। अगर आपका काम ऐसा है कि आपको अधिकतर बैठना पडता है तो आप काम के दौरान बीच-बीच में थोडी चहलकदमी करें। कोई भी कार्य ऐसे न करें कि आपके शरीर को झटका लगे। इससे आपकी मांसपेशियों, डिस्क व स्नायुओं को क्षति पहुंचती है।

Improve eating habits to stay healthy

स्वस्थ बने रहने के लिए खान-पान की आदतें सुधारें (Improve eating habits to stay healthy)

स्वस्थ कौन नहीं रहना चाहता परंतु बढते हुए प्रदूषण व महंगाई की वजह से स्वस्थ रहना अब मुश्किल हो गया है। फिर ऐसी स्थिति में स्वस्थ कैसे रहा जाए? नित्य नये-नये प्रयोग किये जाते रहते हैं तथा समय-समय पर इसकी जानकारियां लोगों तक पहुंचाई जाती हैं।

स्वस्थ रहने के लिए मुख्यत: तीन बातों पर ध्यान देना जरूरी है-खान पान, सामान्य कसरत तथा रहन सहन।

स्वस्थ रहने के लिए सबसे पहले जरूरी है पौष्टिक आहार। पौष्टिक आहार शरीर को विकसित करने के साथ-साथ रोगों से लडने की क्षमता भी प्रदान करता है, अत: हर मानव शरीर को पौष्टिक आहार की जरूरत पडती है। पौष्टिकता हर महंगी चीज में ही होगी, यह कोई जरूरी नहीं है। हम कम खर्च में अधिक से अधिक पौष्टिक आहार शरीर को उपलब्ध करा सकते हैं। कृपया निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान दीजिए।

हरी सब्जियों का प्रयोग:- हरी सब्जियां शरीर को उचित मात्रा में पौष्टिकता देने में सक्षम हैं। हरी सब्जियों का यदि कच्चे रूप में प्रयोग किया जाए तो ज्यादा लाभदायक रहेगा। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप आलू, कटहल, बैंगन, सेम आदि का प्रयोग कच्चा ही शुरू कर दें परन्तु इसके अतिरिक्त मूली, गाजर, शलगम, टमाटर, खीरा आदि का प्रयोग सलाद के रूप में किया जाए तो ज्यादा लाभदायक रहेगा। साग में पालक, बथुआ, मूली का साग आदि का प्रयोग बहुत लाभदायक रहता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि शरीर में विटामिन ‘बी’ और ‘सी’ शरीर को हरी सब्जियों से सीधा प्राप्त होता है।

महीन खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाय:- पेट शरीर को भोजन उपलब्ध कराता है अत: आमाशय की अंतिडयों को स्वस्थ रखना जरूरी है। महीन पिसे हुए खाद्य पदार्थों से पेट ज्यादा खराब होता है। बेसन, मैदा आदि से बने खाद्य पदार्थों का सेवन ही पेट को ठीक रखता है क्योंकि इन्हें पचाने के लिए अंतिडयों को दिन रात काम करना पडता है जिससे वे स्वस्थ व तंदुरूस्त बनी रहती है।

पेय पदार्थों में सावधानी:- उबला हुआ शुद्घ पानी एक अच्छा पेय है जो सहज ही उपलब्ध हो जाता है। दिन भर में आठ से दस गिलास पानी पीना चाहिए जिससे शरीर को उचित मात्रा में पानी मिलता रहे और साथ-साथ अधिक मात्रा में शरीर की गंदगी भी बाहर निकलती रहे।

इधर रंगीन ठंडे पेय का प्रचलन बढा है जो शरीर के लिए हानिकारक है। नींबू पानी में बर्फ डालकर इसे ही शीतल पेय के रूप में प्रयोग करें। यदि संभव हो तो ताजे फलों का रस लिया जा सकता है लेकिन कोल्ड ड्रिंक बिल्कुल नहीं।

घी, तेल का प्रयोग कितना उचित:- घी, डालडा, तेल के अधिक सेवन से प्रत्येक को बचना चाहिए। दिन भर में शरीर को एक चम्मच भर तेल मिले तो काफी है। घी, तेल से बनी वस्तुएं किसे अच्छी नहीं लगती किन्तु इनका प्रयोग पर्व त्यौहारों तक सीमित रहे तो बेहतर है। इसके ज्यादा प्रयोग करने का अर्थ है हृदय रोग को आमंत्रण देना।

कितनी चाय, कॉफी काफी है:- याद रखिए चाय जल्दी बुढापा लाती है। जाहिर है इसका प्रयोग कम किया जाना चाहिए। दिन भर में दो या तीन कप चाय काफी हैं। इससे अधिक इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

भोजन संतुलित हो:- शरीर को भूख भर ही भोजन दिया जाना चाहिए, उससे अधिक नहीं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि समारोहों में लोग अधिक ही खा लेते हैं। स्वाद के चक्कर में ऐसी भूल नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से अपच अर्थात् बदहजमी की शिकायत आती है। पाचनक्रिया बिगडने का अर्थ ही है स्वास्थ्य का हृास।

पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के उपरांत शरीर को हरकत में रखना बहुत जरूरी है। शरीर को श्रम करने का मौका दिया जाना चाहिए। सामान्य कसरत, घर के काम काज स्वयं करके शरीर को श्रम करने का अवसर दिया जा सकता है। रात्रि के भोजन के उपरांत १५-२० मिनट टहलना बहुत लाभदायक रहता है। इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है।

शरीर को चुस्त व तंदुरूस्त रखने के लिए पौष्टिक आहार व सामान्य कसरत के साथ-साथ शुद्घ आक्सीजन की जरूरत पडती है। शुद्घ आक्सीजन की प्राप्ति आपके रहन-सहन पर निर्भर करती है। इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देंं

बाजार अथवा चलती सडकों पर हवा में कार्बन डाइआक्साइड के अलावा धूल कणों का बाहुल्य रहता है। अत: इन स्थानों पर चलते समय नाक पर रूमाल का प्रयोग करना चाहिए जिससे ये हानिकारक तत्व फेफडे तक न पहुंचें। घर को हवादार बनाये रखा जाना चाहिए। सोते समय खिडकियों को खोलकर सोना चाहिए। सांस गहरी लेनी चाहिए जिससे आक्सीजन फेफडों के प्रत्येक भाग में पहुंच सके।

शुद्घ आक्सीजन अमूल्य चीज है जो शरीर को हमेशा ताजा रखती है। तडके सुबह टहलने से इसका सेवन किया जा सकता है। सुबह की हवा में धूल कण नहीं होते।

उपरोक्त बताये गये तथ्यों पर ध्यान दीजिए एवं निर्देशों का पालन कीजिए। आप स्वस्थ व तंदुरूस्त बने रहेंगे।

श्री सोनू कुमार गिरी  (Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, India)
सौजन्य गोल्डन इंडिया.

Advantage’s of Centerline

Centerline Advantage’s In order to defend against a hand attack in the proper Wing Chun manner that is, using Angle Structure to overcome greater force’s the student must combine certain elements of the Centerline Theory and apply them instinctively with proper technique, power and timing in one smooth motion supported by the appropriate footwork to create optimum Centerline Advantage. For example, when an oncoming punch from the opponent viewed by the Wing Chun fighter as a horizontal pyramid is launched, the Wing Chun fighter quickly and instinctively sizes up the situation and identifies the pyramid structure of the punch. He simultaneously processes that information and projects whatever Defense Pyramid he selects as most appropriate for the situation.

Because the Wing Chun man is always conscious of the Centerline, he already knows where to focus the energy of his defense hand: to a point between the tip of the Attack Pyramid and the Centerline. By doing this, he is combining the idea of the two colliding pyramids deflective reaction with awareness of the Centerline Plane, which tells him in which direction he should guide that deflection.

Sifu Sonu Kumar Giri

Nature’s demand is exercise

Nature’s demand is exercise / प्रकृति की मांग है व्यायाम
वर्तमान समय में व्यक्ति का शरीर कितना बेशकीमती है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। आज दुनिया में हर व्यक्ति सुखी एवं शांत जीवन व्यतीत करना चाहता है जिसके लिए निस्संदेह वह समय-समय पर तरह-तरह के साधन भी जुटाता है जिससे उसका जीवन सुखमय बन सके।
शारीरिक सुखों के साथ-साथ वह मानसिक सुखों की भी तलाश में निरंतर प्रयासरत रहता है परंतु इन दोनों सुखों की प्राप्ति का जो प्रमुख महत्त्वपूर्ण साधन है वह है केवल स्वस्थ और निरोग शरीर।
इस बात में कोई शक नहीं है कि स्वस्थ शरीर रखने हेतु नित्यप्रति व्यायाम करना परम आवश्यक है अन्यथा जीवन कदापि सुखी नहीं हो सकता।
वैसे तो स्वस्थ शरीर के लिए शुद्घ तथा शाकाहारी भोजन आवश्यक माना जाता रहा है लेकिन व्यक्ति का शरीर व्यायाम के अभाव में कभी भी फल-फूल नहीं सकता, इसीलिए शरीर के मौजूदा सभी विभिन्न अंगों के समुचित संचालन तथा स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टरों ने व्यायाम के अभ्यास को रोजाना करते रहने को नितान्त आवश्यक बताया है। शरीर विज्ञान के अनुसार, व्यायाम से शरीर में एक तो संचालन क्रिया ठीक हो जाती है, दूसरे फेफडों में शुद्घ वायु का सुबह प्रवेश हो जाने से शरीर स्वस्थ होता है।
इसके अतिरिक्त, व्यायाम के कारण शरीर के रोम-छिद्रों के मुंह खुलते हैं जिसमें पसीना रूपी गन्दा पानी तथा गंदे तत्व शरीर से बाहर निकलते हैं। साथ ही व्यायाम से आमाशय स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया सुचारू रूप से कार्य करती है।
व्यायाम करने वाले व्यक्ति का शरीर सुंदर एवं सुडौल तो होता ही है, इसके अलावा चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की आभा होती है। आंखों में एक अनोखी चमक देखने को भी मिलती है। परिणामस्वरूप समस्त व्यक्तियों के लिए व्यायाम अनिवार्य है।
ध्यान रखें कि शारीरिक अंगों का अधिकाधिक संचालन व्यायाम का प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए समय, शक्ति, स्वास्थ्य एवं पेशे के अनुरूप ही व्यायाम के साधनों का ध्यानपूर्वक चुनाव करें। वृद्घजनों के लिए टहलना अथवा साधारण योगासन ही लाभदायक होगा न कि दौडना, कुश्ती लडना आदि जबकि बच्चों तथा वयस्कों के लिए खेल-कूद, दौड-भाग, दण्ड बैठक इत्यादि व्यायाम के रूप में अधिक सटीक हैं।
इसके अलावा मानसिक और शारीरिक श्रम करने वालों के लिए भी व्यायाम के विभिन्न रूप हैं। जरूरत है तो मात्र सावधानीपूर्वक चुनाव कर नित्यप्रति व्यायाम करने की। और तो और, इसके लिए व्यायाम के नियमों का भी अच्छी तरह से अवलोकन कर समझना होगा, तब कहीं जाकर हम दीर्घायु हो पायेंगे। जहां तक संभव हो, व्यायाम करते समय इन बातों का विशेष ख्याल रखें:-
• व्यायाम उषाकाल और सायंकाल के समय स्वच्छ एवं खुले स्थान पर ही करें। इसे नियमित करें क्योंकि हमेशा प्रात:काल उठकर व्यायाम करने से शरीर को अलग तरह से लाभ पहुंचता है।
• व्यायाम करने से पहले या बाद में कुछ समय तक कुछ भी नहीं खायें। ऐसे खाने से पेट में दर्द हो जाने की संभावना रहती है। हां, पानी आवश्यकता के अनुसार अवश्य ग्रहण कर सकते हैं।
• स्मरण रखें कि व्यायाम करते समय गहरी सांसें नहीं लें। साथ ही, व्यायाम प्रतिदिन एक निश्चित समय पर ही रोजाना करेंं। भोजन की भांति व्यायाम को भी दैनिक जीवन का अंग समझें।
• व्यायाम करते समय आवश्यक है कि मस्तिष्क को शांंत मुद्रा में ही रखें क्योंकि ध्यान भटकने से चोट लग जाने का अंदेशा रहता है।
• व्यायाम के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भूख लगने तथा रोने की दशा में व्यायाम कदापि न करेंं। इसके अलावा, व्यायाम की मात्रा शरीर की क्षमता के अनुसार स्वयं ही निर्धारित करेंं। दूसरों की राय लेना ठीक नहीं है क्योंकि हो सकता है वह अन्य दूसरा व्यक्ति आपसे ज्यादा क्षमताशील हो। दूसरों की देखा-देखी क्षमता से अधिक व्यायाम बिल्कुल न करेंं अन्यथा यह किया गया व्यायाम आपके शरीर को क्षति पहुंचाएगा और अनेक रोगों का कारण भी बनेगा।
• शरीर के थक जाने की स्थिति में व्यायाम कतई न करें और न ही व्यायाम के तुरंत बाद स्नान अथवा भोजन ही करें नहीं तो रोग उत्पन्न होने की सौ फीसदी संभावना है।
• यदि इसी प्रकार आप व्यायाम कर प्रकृति की मांग को पूरा करते रहते हैं तो वाकई निस्संदेह बीमारियों से तो दूर रहेंगे ही, साथ ही स्वस्थ भी बने रहेंगे अन्यथा आए दिन विभिन्न विकारों से खुद को ग्रस्त पायेंगे। व्यायाम व्यक्ति के लिए वरदान है न कि अभिशाप, इसीलिए हमें सदैव नियमित समय पर रोजाना अवश्य व्यायाम करना चाहिए।

श्री सोनू कुमार गिरी (Wing Chun Kung Fu Martial Academy, India)
सौजन्य गोल्डन इंडिया

Counters to Attacks with a Knife by Wing Chun’s Method

Counters to Attacks with a Knife is most important part in self defence & Without any doubt whatsoever the best method of defending yourself against a knife attack is not to get into a position where such a defence becomes necessary. but should self-defence become essential against an armed aggressor, there is no doubt that. the trained kung fu exponent should stand a very good chance of corning out safely, and a better chance than any man unversed in the art of kung fu.

You will remember that self-defense is based the basic principles of kung fu so for that reason you will. find that these counters against knife attacks are very similar to throws and locks already described.

The first defence is that used against a straight thrust at your chest or stomach with a knife and is similar to that for a punch. Of course at first the main consideration is not to apply a counter but to avoid the thrust and for tb is reason you turn your hips to the right, assisting this movement by stepping forward with the left foot, advancing the left hip and drawing back the right. This allows the knife to pass harmlessly but to ensure that it does so, you push the attacker’s forearm away to your right with your own right forearm with your hand down and if you ward off the blow with a sharp cutting movement from the honey part of your forearm the pain will probably disarm him. Now that the immediate danger has passed the time has come to apply a counter. Grip the attacker’s wrist or forearm with your right hand by sliding it over his arm and help it to continue in the direction of its thrust at the same time you should make turn to your right pivoting on the ball of your left foot and. bringing your left hand down on your opponent’s right elbow to disable it. Alternatively. if you wish you can continue the pull to his front with your right arm and maintain the downward pressure with your left until he is forced to the ground where you can finish him with a blow or an arm lock or simply disarm him.

At first you may find difficult grasp your opponent’s right arm after you have parried his blow. Actually ‘it is quite simple if you parry with your right arm so turned that you use the sharp edge of your forearm with your palm turned towards you, fingers downward. Now you should find it easy to slip your hand over the top of his arm and obtain a grip. Even should you still find this difficult at first, practice will overcome the problem.

An alternative counter to this form of attack is to use a Hip Throw. Step in with your left foot and parry his arm with your left forearm, to your left. You will find that your step in and the momentum provided by his own effort, will bring him close to you and you will be ~n an ideal position to slip your left arm round his waist, pivot on your right foot, to your right and apply a hip throw on the reverse side. Similarly a hip counter to the normal side, turning to your left, can be used.

Wing Chun Article by,
Sifu Sonu Kumar’s Wing Chun Academy
Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, India.
Aim of Article : Only improvement in technique who is the practitioner of martial Art / Kung Fu / Wing Chun.