Nature’s demand is exercise

Nature’s demand is exercise / प्रकृति की मांग है व्यायाम
वर्तमान समय में व्यक्ति का शरीर कितना बेशकीमती है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। आज दुनिया में हर व्यक्ति सुखी एवं शांत जीवन व्यतीत करना चाहता है जिसके लिए निस्संदेह वह समय-समय पर तरह-तरह के साधन भी जुटाता है जिससे उसका जीवन सुखमय बन सके।
शारीरिक सुखों के साथ-साथ वह मानसिक सुखों की भी तलाश में निरंतर प्रयासरत रहता है परंतु इन दोनों सुखों की प्राप्ति का जो प्रमुख महत्त्वपूर्ण साधन है वह है केवल स्वस्थ और निरोग शरीर।
इस बात में कोई शक नहीं है कि स्वस्थ शरीर रखने हेतु नित्यप्रति व्यायाम करना परम आवश्यक है अन्यथा जीवन कदापि सुखी नहीं हो सकता।
वैसे तो स्वस्थ शरीर के लिए शुद्घ तथा शाकाहारी भोजन आवश्यक माना जाता रहा है लेकिन व्यक्ति का शरीर व्यायाम के अभाव में कभी भी फल-फूल नहीं सकता, इसीलिए शरीर के मौजूदा सभी विभिन्न अंगों के समुचित संचालन तथा स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टरों ने व्यायाम के अभ्यास को रोजाना करते रहने को नितान्त आवश्यक बताया है। शरीर विज्ञान के अनुसार, व्यायाम से शरीर में एक तो संचालन क्रिया ठीक हो जाती है, दूसरे फेफडों में शुद्घ वायु का सुबह प्रवेश हो जाने से शरीर स्वस्थ होता है।
इसके अतिरिक्त, व्यायाम के कारण शरीर के रोम-छिद्रों के मुंह खुलते हैं जिसमें पसीना रूपी गन्दा पानी तथा गंदे तत्व शरीर से बाहर निकलते हैं। साथ ही व्यायाम से आमाशय स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया सुचारू रूप से कार्य करती है।
व्यायाम करने वाले व्यक्ति का शरीर सुंदर एवं सुडौल तो होता ही है, इसके अलावा चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की आभा होती है। आंखों में एक अनोखी चमक देखने को भी मिलती है। परिणामस्वरूप समस्त व्यक्तियों के लिए व्यायाम अनिवार्य है।
ध्यान रखें कि शारीरिक अंगों का अधिकाधिक संचालन व्यायाम का प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए समय, शक्ति, स्वास्थ्य एवं पेशे के अनुरूप ही व्यायाम के साधनों का ध्यानपूर्वक चुनाव करें। वृद्घजनों के लिए टहलना अथवा साधारण योगासन ही लाभदायक होगा न कि दौडना, कुश्ती लडना आदि जबकि बच्चों तथा वयस्कों के लिए खेल-कूद, दौड-भाग, दण्ड बैठक इत्यादि व्यायाम के रूप में अधिक सटीक हैं।
इसके अलावा मानसिक और शारीरिक श्रम करने वालों के लिए भी व्यायाम के विभिन्न रूप हैं। जरूरत है तो मात्र सावधानीपूर्वक चुनाव कर नित्यप्रति व्यायाम करने की। और तो और, इसके लिए व्यायाम के नियमों का भी अच्छी तरह से अवलोकन कर समझना होगा, तब कहीं जाकर हम दीर्घायु हो पायेंगे। जहां तक संभव हो, व्यायाम करते समय इन बातों का विशेष ख्याल रखें:-
• व्यायाम उषाकाल और सायंकाल के समय स्वच्छ एवं खुले स्थान पर ही करें। इसे नियमित करें क्योंकि हमेशा प्रात:काल उठकर व्यायाम करने से शरीर को अलग तरह से लाभ पहुंचता है।
• व्यायाम करने से पहले या बाद में कुछ समय तक कुछ भी नहीं खायें। ऐसे खाने से पेट में दर्द हो जाने की संभावना रहती है। हां, पानी आवश्यकता के अनुसार अवश्य ग्रहण कर सकते हैं।
• स्मरण रखें कि व्यायाम करते समय गहरी सांसें नहीं लें। साथ ही, व्यायाम प्रतिदिन एक निश्चित समय पर ही रोजाना करेंं। भोजन की भांति व्यायाम को भी दैनिक जीवन का अंग समझें।
• व्यायाम करते समय आवश्यक है कि मस्तिष्क को शांंत मुद्रा में ही रखें क्योंकि ध्यान भटकने से चोट लग जाने का अंदेशा रहता है।
• व्यायाम के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भूख लगने तथा रोने की दशा में व्यायाम कदापि न करेंं। इसके अलावा, व्यायाम की मात्रा शरीर की क्षमता के अनुसार स्वयं ही निर्धारित करेंं। दूसरों की राय लेना ठीक नहीं है क्योंकि हो सकता है वह अन्य दूसरा व्यक्ति आपसे ज्यादा क्षमताशील हो। दूसरों की देखा-देखी क्षमता से अधिक व्यायाम बिल्कुल न करेंं अन्यथा यह किया गया व्यायाम आपके शरीर को क्षति पहुंचाएगा और अनेक रोगों का कारण भी बनेगा।
• शरीर के थक जाने की स्थिति में व्यायाम कतई न करें और न ही व्यायाम के तुरंत बाद स्नान अथवा भोजन ही करें नहीं तो रोग उत्पन्न होने की सौ फीसदी संभावना है।
• यदि इसी प्रकार आप व्यायाम कर प्रकृति की मांग को पूरा करते रहते हैं तो वाकई निस्संदेह बीमारियों से तो दूर रहेंगे ही, साथ ही स्वस्थ भी बने रहेंगे अन्यथा आए दिन विभिन्न विकारों से खुद को ग्रस्त पायेंगे। व्यायाम व्यक्ति के लिए वरदान है न कि अभिशाप, इसीलिए हमें सदैव नियमित समय पर रोजाना अवश्य व्यायाम करना चाहिए।

श्री सोनू कुमार गिरी (Wing Chun Kung Fu Martial Academy, India)
सौजन्य गोल्डन इंडिया

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