Healthy Apple

स्वास्थ्यवर्द्धक है सेब (Healthy Apple)

शरीर की मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं के विकास में फलों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। पोषक तत्वों से युक्त फलों में सेब का एक विशिष्ट स्थान है क्योंकि सेब अत्यंत स्वास्थ्यवद्र्घक फल है। इसलिये कहा गया है कि प्रति दिन एक सेब का सेवन करने से डॉक्टर को बुलाने की जरूरत नहीं पडती।

सेब में विटामिन ए, बी, सी, प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसमें सैल्यूलोज और कार्बोहाडे्रट भी पर्याप्त मात्रा में होता है। इसमें कुछ धातुयें भी होती हैं। इनके अलावा इसमें भौतिक एसिड एवं फॉस्फेट आदि भी होते हैं। सेब हमारे लिये कितना लाभदायक हैं इसका ब्यौरा देना मुश्किल है क्योंकि वह शरीर को अनन्य शक्ति प्रदान करता हैं। इसके बारे में भाव प्रकाश निघण्टु में लिखा हैं –

सेब समीर पित्त्प्रं बृंहणं कफ कृद गुरू।

रसे पाके च मधुरं शिशिरं रुचिं शुक्रकृत।।

अर्थात् सेब गुणों की खान है। सेब के फल का सेवन वात एवं पित्त का शमन करने वाला, पौष्टिक कफकारक, भारी पाक तथा रस में मधुर, शीतल, रूचिकारक और वीर्यवद्र्घक है।

सेब के हमारे लिये कई उपयोग हैं। इसका उपयोग हृदय, मस्तिष्क, यकृत, और आमाशय को बल देने वाला होता है तथा विटामिन बी आदि पोषक तत्वों से युक्त होने के कारण शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने वाला होता है। प्रतिदिन एक सेब फल छिलका सहित सेवन करने से शरीर हृष्ट पुष्ट, फुर्तीला और शक्तिशाली बना रहता हैं।

गर्भवती महिलाओं बच्चों, रोगियों एवं वृद्घों के लिए यह फल बहुत ही लाभदायक सिद्घ होता है। रोजाना एक सेब खाने से व्यक्ति को कब्ज नहीं होती क्योंकि सेब का रस पाचन क्रिया को तेज करता है। पका मीठा और लाल रस का वाला सेब खाने में मीठा और चबाने में फुसफुसा होता है। सेब को चबाने से जबडे में फंसे भोजन के अवशिष्ट अंश और दूसरे टुकडे निकल जाते हैं।

खाने के बाद एक सेब खाने से दांतों को सुबह शाम साफ करने से दांत स्वस्थ रहते हैं। पथ्य के रूप में सेवन योग्य पदार्थों में सेब फल को उत्तम पथ्य माना गया है। अतिसार, बवासीर, कब्ज, पेचिश, अजीर्ण जैसे उदर विकारों से ग्रस्त, जीर्ण ज्वर, पित्तज्वर, मोतीझरा (टायफॉइड) जैसे ज्वर से ग्रस्त, हृदय विकार, प्लीहा वृद्घि, यकृत वृद्घि, मेदवृद्घि, अश्मरी (पथरी), रक्त विकार, सिर दर्द, शारीरिक और दिमागी कमजोरी, रात या पित्त प्रकोप जन्य विकार तथा श्वास कष्ट जैसी व्याधियों से ग्रस्त रोगियों के लिये सेब उत्तम पथ्य है।

कोई  जीर्ण रोग लम्बे समय से रोगी के शरीर को निर्बल करता रहता है, पाचन क्रिया बिगड जाती है जिससे या बार-बार थोडा सा पतला दस्त होता हैं या कब्ज बना रहता है तो शरीर शिथिल और कमजोर हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि अन्न सेवन न करके सेब का सेवन किया जाये तो थोडे समय में पाचन क्रिया सुधरने से शरीर में जैसे नई जान आ सकती है। चुस्ती, फुर्ती और शक्ति आने लगती है, शरीर पुष्ट और सुडौल होने लगता है और रोगी का चेहरा भी सेब की तरह सुंदर और तेजस्वी हो जाता है। इस तरह सेब एक पौष्टिक सुपाच्य और बलवीर्यवर्द्धक  पथ्य सिद्घ होता है। सेब के कुछ औषधीय घरेलू प्रयोग निम्न हैं –

ज्वर :- ज्वर के समय में सेब का सेवन गुणकारी एवं उत्तम रहता है।

नेत्र पीडा :- जिनको अक्सर सर्दी जुकाम होता रहता हो, सिर में भारीपन और दिमागी कमजोरी का अनुभव होता हो, उनको भोजन के पहले एक सेब खाना चाहिये।

उच्च रक्तचाप :- सुबह शाम एक सेब फल खाने से उच्च रक्तचाप के रोगी को लाभ होता है।

पथरी एवं पेशाब जलन :- प्रतिदिन सेब का सेवन करने से कितनी भी पुरानी पथरी होगी, गलकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जायेगी। पेशाब में जलन को भी यह कम कम करता है।

पेट में कृमि :- रात को सोने से पहले  सेब फल खाते रहने से १०-१५ दिन में पेट के कृमि मल के साथ निकल जाते हैं। इस प्रयोग में सेब खाने के बाद में पानी नहीं पीना चाहिये।

खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर हो तो खट्टे सेब का रस निकाल कर मस्सों पर लगाने से खून आना बंद हो जाता है और मस्से धीरे-धीरे टूट गिर जाते हैं।

भूख की कमी :- कच्चे खट्टे सेब का रस निकालकर शक्कर मिलाकर, १-२ कप सुबह ७-८ दिन पीने से भूख खुल कर लगने लगती है।

सूखी खांसी :- सेब फलों का रस निकालकर थोडी मिश्री मिलाकर पीने से सूखी खांसी ठीक होती हैं।

उल्टी :- सेब फल के रस में थोडा सा सेन्धा नमक मिलाकर पिलाने से उलटियां होना बंद हो जाता है।

पतले दस्त :- पतले दस्त लगते हों तो कच्चे सेब फल खूब चबा कर खाने के साथ ही कच्चे सेब फल का रस पीने से पाचन शक्ति बढती है और पाचन होने से दस्त बंध कर आने लगते हैं। इतना ही नहीं, इनके अलावा सेब के कई शर्बत भी बनाये जाते हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बहुपौष्टिक और शक्तिवद्र्घक भी होता है। साथ ही रूचिकारी और सुपाच्य भी होता है। सेब का मुरब्बा भी बनाया जाता है। यह अत्यंत ही लाभदायक होता है। भोजन के घंटे भर बाद दोपहर में या प्रात: काल नित्यकर्म से निवृत होकर सेब का मुरब्बा खाने से मस्तिष्क एवं हृदय को बल मिलता है। मुरब्बा खाने से नींद अच्छी आती है। इसके सेवन से कई बुरे व्यसनों से भी छुटकारा मिलता है।

इस प्रकार सेब मानव जीवन के लिये स्वास्थ्यवद्र्घक ही नहीं बल्कि अत्यंत महत्त्वपूर्ण भी होता है।

-श्री सोनू कुमार गिरी / Shri Sonu Kumar Giri

Improve eating habits to stay healthy

स्वस्थ बने रहने के लिए खान-पान की आदतें सुधारें (Improve eating habits to stay healthy)

स्वस्थ कौन नहीं रहना चाहता परंतु बढते हुए प्रदूषण व महंगाई की वजह से स्वस्थ रहना अब मुश्किल हो गया है। फिर ऐसी स्थिति में स्वस्थ कैसे रहा जाए? नित्य नये-नये प्रयोग किये जाते रहते हैं तथा समय-समय पर इसकी जानकारियां लोगों तक पहुंचाई जाती हैं।

स्वस्थ रहने के लिए मुख्यत: तीन बातों पर ध्यान देना जरूरी है-खान पान, सामान्य कसरत तथा रहन सहन।

स्वस्थ रहने के लिए सबसे पहले जरूरी है पौष्टिक आहार। पौष्टिक आहार शरीर को विकसित करने के साथ-साथ रोगों से लडने की क्षमता भी प्रदान करता है, अत: हर मानव शरीर को पौष्टिक आहार की जरूरत पडती है। पौष्टिकता हर महंगी चीज में ही होगी, यह कोई जरूरी नहीं है। हम कम खर्च में अधिक से अधिक पौष्टिक आहार शरीर को उपलब्ध करा सकते हैं। कृपया निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान दीजिए।

हरी सब्जियों का प्रयोग:- हरी सब्जियां शरीर को उचित मात्रा में पौष्टिकता देने में सक्षम हैं। हरी सब्जियों का यदि कच्चे रूप में प्रयोग किया जाए तो ज्यादा लाभदायक रहेगा। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप आलू, कटहल, बैंगन, सेम आदि का प्रयोग कच्चा ही शुरू कर दें परन्तु इसके अतिरिक्त मूली, गाजर, शलगम, टमाटर, खीरा आदि का प्रयोग सलाद के रूप में किया जाए तो ज्यादा लाभदायक रहेगा। साग में पालक, बथुआ, मूली का साग आदि का प्रयोग बहुत लाभदायक रहता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि शरीर में विटामिन ‘बी’ और ‘सी’ शरीर को हरी सब्जियों से सीधा प्राप्त होता है।

महीन खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाय:- पेट शरीर को भोजन उपलब्ध कराता है अत: आमाशय की अंतिडयों को स्वस्थ रखना जरूरी है। महीन पिसे हुए खाद्य पदार्थों से पेट ज्यादा खराब होता है। बेसन, मैदा आदि से बने खाद्य पदार्थों का सेवन ही पेट को ठीक रखता है क्योंकि इन्हें पचाने के लिए अंतिडयों को दिन रात काम करना पडता है जिससे वे स्वस्थ व तंदुरूस्त बनी रहती है।

पेय पदार्थों में सावधानी:- उबला हुआ शुद्घ पानी एक अच्छा पेय है जो सहज ही उपलब्ध हो जाता है। दिन भर में आठ से दस गिलास पानी पीना चाहिए जिससे शरीर को उचित मात्रा में पानी मिलता रहे और साथ-साथ अधिक मात्रा में शरीर की गंदगी भी बाहर निकलती रहे।

इधर रंगीन ठंडे पेय का प्रचलन बढा है जो शरीर के लिए हानिकारक है। नींबू पानी में बर्फ डालकर इसे ही शीतल पेय के रूप में प्रयोग करें। यदि संभव हो तो ताजे फलों का रस लिया जा सकता है लेकिन कोल्ड ड्रिंक बिल्कुल नहीं।

घी, तेल का प्रयोग कितना उचित:- घी, डालडा, तेल के अधिक सेवन से प्रत्येक को बचना चाहिए। दिन भर में शरीर को एक चम्मच भर तेल मिले तो काफी है। घी, तेल से बनी वस्तुएं किसे अच्छी नहीं लगती किन्तु इनका प्रयोग पर्व त्यौहारों तक सीमित रहे तो बेहतर है। इसके ज्यादा प्रयोग करने का अर्थ है हृदय रोग को आमंत्रण देना।

कितनी चाय, कॉफी काफी है:- याद रखिए चाय जल्दी बुढापा लाती है। जाहिर है इसका प्रयोग कम किया जाना चाहिए। दिन भर में दो या तीन कप चाय काफी हैं। इससे अधिक इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

भोजन संतुलित हो:- शरीर को भूख भर ही भोजन दिया जाना चाहिए, उससे अधिक नहीं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि समारोहों में लोग अधिक ही खा लेते हैं। स्वाद के चक्कर में ऐसी भूल नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से अपच अर्थात् बदहजमी की शिकायत आती है। पाचनक्रिया बिगडने का अर्थ ही है स्वास्थ्य का हृास।

पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के उपरांत शरीर को हरकत में रखना बहुत जरूरी है। शरीर को श्रम करने का मौका दिया जाना चाहिए। सामान्य कसरत, घर के काम काज स्वयं करके शरीर को श्रम करने का अवसर दिया जा सकता है। रात्रि के भोजन के उपरांत १५-२० मिनट टहलना बहुत लाभदायक रहता है। इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है।

शरीर को चुस्त व तंदुरूस्त रखने के लिए पौष्टिक आहार व सामान्य कसरत के साथ-साथ शुद्घ आक्सीजन की जरूरत पडती है। शुद्घ आक्सीजन की प्राप्ति आपके रहन-सहन पर निर्भर करती है। इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देंं

बाजार अथवा चलती सडकों पर हवा में कार्बन डाइआक्साइड के अलावा धूल कणों का बाहुल्य रहता है। अत: इन स्थानों पर चलते समय नाक पर रूमाल का प्रयोग करना चाहिए जिससे ये हानिकारक तत्व फेफडे तक न पहुंचें। घर को हवादार बनाये रखा जाना चाहिए। सोते समय खिडकियों को खोलकर सोना चाहिए। सांस गहरी लेनी चाहिए जिससे आक्सीजन फेफडों के प्रत्येक भाग में पहुंच सके।

शुद्घ आक्सीजन अमूल्य चीज है जो शरीर को हमेशा ताजा रखती है। तडके सुबह टहलने से इसका सेवन किया जा सकता है। सुबह की हवा में धूल कण नहीं होते।

उपरोक्त बताये गये तथ्यों पर ध्यान दीजिए एवं निर्देशों का पालन कीजिए। आप स्वस्थ व तंदुरूस्त बने रहेंगे।

श्री सोनू कुमार गिरी  (Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, India)
सौजन्य गोल्डन इंडिया.