वर्तमान सदी में मानवो में ह्रदय विकार का बड़े तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, पर हम योग द्वारा इस रोग पर नियंत्रण कर सकते है, योग का एक अचूक आसान – पद्मासन हमें इस विकार से दूर रख सकता है.
‘पद्म का अर्थ है कमल। जब पद्मासन किया जाता है तो वह कमल के समान दिखाई देता है। इस आसन को ‘कमलासन के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान एवं जप के लिए पद्मासन मुख्य आसन माना जाता है। यह आसन स्त्री एवं पुरूष दोनों के लिए ही अनुकूल माना जाता है।
पद्मासन के दो प्रकार होते हैं जिन्हें पद्मासन एवं बद्घपद्मासन के नामों से जाना जाता है। इस आसन के करने से अनेक फायदे होते हैं। मुख्य रूप से दमा, अनिद्रा, हिस्टीरिया, शरीर की स्थूलता, घुटनों एवं टखनों के दर्द, जठर, यकृत, पेट दर्द के साथ ही हृदयगत अनेक रोगों को दूर करने के लिए पद्मासन का अभ्यास किया जाता है।
पद्मासन को करने के लिए दोनों पैरों को फैलाकर सीधे बैठ जाइए। उसके बाद दायां पैर बांए पैर की जांघ पर और बायां पैर दाएं पैर की जांघ पर रख दीजिए। कई लोगों को पहले दाईं जांघ पर बायां पैर और फिर उसके बाद बाईं जांघ पर दायें पैर को रखते हैं।
सहूलियत के अनुसार जांघ पर पैर को रखकर बैठ जाइए और दोनों हाथों के अंगूठों को तर्जनियों के साथ मिलाकर बायां हाथ बाएं पैर के घुटने पर और दायां हाथ दाएं पैर के घुटने पर रख दीजिए।
इसके बाद मेरूदण्ड और मस्तक सीधी रेखा में रखिए। आंखों को बंद या खुला रखिए और सांसों को धीमी गति से लेते छोडते जाइए। आंखों को बंद करके ध्यान मुद्रा धारण कर लीजिए। लगभग १०-१५ मिनट तक इसको करना चाहिए। प्रारंभ में कुछ परेशानी अवश्य हो सकती है परन्तु अभ्यास करते रहने से पद्मासन की यह मुद्रा सरल हो जाती है।
पद्मासन का दूसरा प्रकार बद्घ पद्मासन होता है। यह पद्मासन से कुछ कठिन होता है। यह आसन ध्यान के लिए नहीं होता किंतु स्वास्थ्य के सुधार के लिए एवं शरीर को सशक्त एवं सुदृढ बनाने के निमित्त होता है। इस आसन का अभ्यास क्रमश: धीरे-धीरे करना चाहिए।
बद्घ पद्मासन करने के लिए पैरों को जांघों पर क्रमश: चढाइए। पैरों को इतना ऊंचा रखिए ताकि वे पेट के नीचे वाले हिस्से को छूते रहे। इसके बाद दाएं-बाएं दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाइए। दाएं हाथ से दाएं पैर तथा बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड लीजिए। पैरों के अंगूठे पकडते समय कठिनाई पडती हो तो आगे की ओर झुक कर अंगूठे को पकिडए और अंगूठे पकडने के बाद फिर से सीधे हो जाइए।
इस स्थिति में आने के बाद सांसों को धीरे—धीरे चलाते रहिए। एक-दो मिनट से प्रारंभ करके इसे क्रमश: दस मिनट तक पहुंचाया जा सकता है। प्रारंभ में कठिनाई तो होती है परन्तु धीरे-धीरे सामान्य होता चला जाता है। इस आसन के करने से कमर, पेट, हृदय आदि पर दबाव पडता है। इससे उन स्थलों की नािडयां तनावमुक्त होकर पूर्ण स्वस्थ हो जाती हैं। इसके प्रभाव से स्तन एवं गुप्तांगों की नािडयां भी सक्रिय हो जाती हैं तथा रक्त का संचरण अच्छी तरह से होने लगता है। पद्मासन से निम्नांकित लाभ होता है।
• पद्मासन के नियमित अभ्यास से हृदय के रक्तसंचार की क्रियाओं पर अच्छा प्रभाव पडता है और हृदय से संबंधित अनेक बीमारियां स्वत: ही समाप्त होने लगती हैं।
• इस आसन के अभ्यास से दमा, अनिद्रा, हिस्टीरिया जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं। अनिद्रा के रोगियों के लिए तो यह आसन अमोघ साधन है।
• हृदय के रोगियों के लिए अनिद्रा काफी खतरनाक मानी जाती है। अनिद्रा दूर करने के उपायों में यह सबसे अच्छा उपाय होता है।
• यह आसन शरीर की स्थूलता कम करने में भी सहायक है। इस आसन से जीवनशक्ति की वृद्घि होती है।
• इस आसन में दोनों घुटनों और टखनों के जोडों पर वजन पडता है जिससे पैरों के जोड सुदृढ बनते हैंं।
• इस आसन से दोनों पैरों की एिडयों को भी सम्पूर्ण व्यायाम मिलता है जिससे नितम्ब सम्पुष्ट होते हैं।
• इस आसन के लगातार करते रहने से हृदय, फेफडे, जठर, यकृत और मेरूदण्ड की अशक्ति धीरे-धीरे दूर होती है। स्तनों का विकास होता है तथा यौन शक्ति की वृद्घि भी होती है।
• इस आसन के करने से अपच, अफारा, पेट का दर्द, अजीर्ण आदि रोग मिट जाते हैं। हृदय रोगियों को इस आसन को नियमित करके फायदा उठाना चाहिए।
श्री सोनू कुमार गिरी (Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, India)
सौजन्य गोल्डन इंडिया