Importance of Yoga

योग का महत्व: शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक समृद्धि

योग भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा है जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक समृद्धि का समर्पण है। यह साधना हमें एक समता और संतुलन की दिशा में मार्गदर्शन करती है, और यहाँ हम योग के महत्व पर विचार करेंगे।

शारीरिक लाभ:

योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक अद्वितीय कारगर तंत्र है। योगासनों के माध्यम से हम अपने शरीर को सुपला, मजबूत, और स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। यह हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है, रक्तचालन को सुधारता है, और श्वासमान तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने का कार्य करता है। योग से हम शारीरिक कठिनाईयों को दूर करके सुस्तीपूर्ण जीवन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य:

योग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक प्रशिक्षण प्रदान करता है। योग आसनों और ध्यान के माध्यम से आत्मा को शांति और चेतना की अवस्था में लाने में मदद करता है। यह स्ट्रेस और चिंता को कम करने, मानसिक तनाव से मुक्ति प्रदान करने और मानसिक स्थिति को सुधारने में सहायक होता है। योग ने ध्यान की प्रक्रिया के माध्यम से मानव मन को अपने आत्मा के साथ मिलाने की ओर प्रवृत्त किया है, जिससे उदारमनस्कता और आत्मा की अद्वितीयता में वृद्धि होती है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण:

योग आध्यात्मिक उन्नति की प्रक्रिया में मदद करता है और व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक स्वरूप का अनुभव करने की दिशा में प्रेरित करता है। यह साधक को अपनी आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की अनुभूति कराता है और उसे जीवन के मूल्यों और उद्देश्यों की समझ में साहायक होता है। समापन में, योग का महत्व शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की समृद्धि का माध्यम है। इसके प्रैक्टिस से हम अपने जीवन को सुशील बना सकते हैं और अदृश्य लाभों को प्राप्त कर सकते हैं जो अंत में हमें एक संतुलित, खुशहाल और सात्विक जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।

Nature’s demand is exercise

Nature’s demand is exercise / प्रकृति की मांग है व्यायाम
वर्तमान समय में व्यक्ति का शरीर कितना बेशकीमती है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। आज दुनिया में हर व्यक्ति सुखी एवं शांत जीवन व्यतीत करना चाहता है जिसके लिए निस्संदेह वह समय-समय पर तरह-तरह के साधन भी जुटाता है जिससे उसका जीवन सुखमय बन सके।
शारीरिक सुखों के साथ-साथ वह मानसिक सुखों की भी तलाश में निरंतर प्रयासरत रहता है परंतु इन दोनों सुखों की प्राप्ति का जो प्रमुख महत्त्वपूर्ण साधन है वह है केवल स्वस्थ और निरोग शरीर।
इस बात में कोई शक नहीं है कि स्वस्थ शरीर रखने हेतु नित्यप्रति व्यायाम करना परम आवश्यक है अन्यथा जीवन कदापि सुखी नहीं हो सकता।
वैसे तो स्वस्थ शरीर के लिए शुद्घ तथा शाकाहारी भोजन आवश्यक माना जाता रहा है लेकिन व्यक्ति का शरीर व्यायाम के अभाव में कभी भी फल-फूल नहीं सकता, इसीलिए शरीर के मौजूदा सभी विभिन्न अंगों के समुचित संचालन तथा स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टरों ने व्यायाम के अभ्यास को रोजाना करते रहने को नितान्त आवश्यक बताया है। शरीर विज्ञान के अनुसार, व्यायाम से शरीर में एक तो संचालन क्रिया ठीक हो जाती है, दूसरे फेफडों में शुद्घ वायु का सुबह प्रवेश हो जाने से शरीर स्वस्थ होता है।
इसके अतिरिक्त, व्यायाम के कारण शरीर के रोम-छिद्रों के मुंह खुलते हैं जिसमें पसीना रूपी गन्दा पानी तथा गंदे तत्व शरीर से बाहर निकलते हैं। साथ ही व्यायाम से आमाशय स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया सुचारू रूप से कार्य करती है।
व्यायाम करने वाले व्यक्ति का शरीर सुंदर एवं सुडौल तो होता ही है, इसके अलावा चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की आभा होती है। आंखों में एक अनोखी चमक देखने को भी मिलती है। परिणामस्वरूप समस्त व्यक्तियों के लिए व्यायाम अनिवार्य है।
ध्यान रखें कि शारीरिक अंगों का अधिकाधिक संचालन व्यायाम का प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए समय, शक्ति, स्वास्थ्य एवं पेशे के अनुरूप ही व्यायाम के साधनों का ध्यानपूर्वक चुनाव करें। वृद्घजनों के लिए टहलना अथवा साधारण योगासन ही लाभदायक होगा न कि दौडना, कुश्ती लडना आदि जबकि बच्चों तथा वयस्कों के लिए खेल-कूद, दौड-भाग, दण्ड बैठक इत्यादि व्यायाम के रूप में अधिक सटीक हैं।
इसके अलावा मानसिक और शारीरिक श्रम करने वालों के लिए भी व्यायाम के विभिन्न रूप हैं। जरूरत है तो मात्र सावधानीपूर्वक चुनाव कर नित्यप्रति व्यायाम करने की। और तो और, इसके लिए व्यायाम के नियमों का भी अच्छी तरह से अवलोकन कर समझना होगा, तब कहीं जाकर हम दीर्घायु हो पायेंगे। जहां तक संभव हो, व्यायाम करते समय इन बातों का विशेष ख्याल रखें:-
• व्यायाम उषाकाल और सायंकाल के समय स्वच्छ एवं खुले स्थान पर ही करें। इसे नियमित करें क्योंकि हमेशा प्रात:काल उठकर व्यायाम करने से शरीर को अलग तरह से लाभ पहुंचता है।
• व्यायाम करने से पहले या बाद में कुछ समय तक कुछ भी नहीं खायें। ऐसे खाने से पेट में दर्द हो जाने की संभावना रहती है। हां, पानी आवश्यकता के अनुसार अवश्य ग्रहण कर सकते हैं।
• स्मरण रखें कि व्यायाम करते समय गहरी सांसें नहीं लें। साथ ही, व्यायाम प्रतिदिन एक निश्चित समय पर ही रोजाना करेंं। भोजन की भांति व्यायाम को भी दैनिक जीवन का अंग समझें।
• व्यायाम करते समय आवश्यक है कि मस्तिष्क को शांंत मुद्रा में ही रखें क्योंकि ध्यान भटकने से चोट लग जाने का अंदेशा रहता है।
• व्यायाम के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भूख लगने तथा रोने की दशा में व्यायाम कदापि न करेंं। इसके अलावा, व्यायाम की मात्रा शरीर की क्षमता के अनुसार स्वयं ही निर्धारित करेंं। दूसरों की राय लेना ठीक नहीं है क्योंकि हो सकता है वह अन्य दूसरा व्यक्ति आपसे ज्यादा क्षमताशील हो। दूसरों की देखा-देखी क्षमता से अधिक व्यायाम बिल्कुल न करेंं अन्यथा यह किया गया व्यायाम आपके शरीर को क्षति पहुंचाएगा और अनेक रोगों का कारण भी बनेगा।
• शरीर के थक जाने की स्थिति में व्यायाम कतई न करें और न ही व्यायाम के तुरंत बाद स्नान अथवा भोजन ही करें नहीं तो रोग उत्पन्न होने की सौ फीसदी संभावना है।
• यदि इसी प्रकार आप व्यायाम कर प्रकृति की मांग को पूरा करते रहते हैं तो वाकई निस्संदेह बीमारियों से तो दूर रहेंगे ही, साथ ही स्वस्थ भी बने रहेंगे अन्यथा आए दिन विभिन्न विकारों से खुद को ग्रस्त पायेंगे। व्यायाम व्यक्ति के लिए वरदान है न कि अभिशाप, इसीलिए हमें सदैव नियमित समय पर रोजाना अवश्य व्यायाम करना चाहिए।

श्री सोनू कुमार गिरी (Wing Chun Kung Fu Martial Academy, India)
सौजन्य गोल्डन इंडिया

Counters to Attacks with a Knife by Wing Chun’s Method

Counters to Attacks with a Knife is most important part in self defence & Without any doubt whatsoever the best method of defending yourself against a knife attack is not to get into a position where such a defence becomes necessary. but should self-defence become essential against an armed aggressor, there is no doubt that. the trained kung fu exponent should stand a very good chance of corning out safely, and a better chance than any man unversed in the art of kung fu.

You will remember that self-defense is based the basic principles of kung fu so for that reason you will. find that these counters against knife attacks are very similar to throws and locks already described.

The first defence is that used against a straight thrust at your chest or stomach with a knife and is similar to that for a punch. Of course at first the main consideration is not to apply a counter but to avoid the thrust and for tb is reason you turn your hips to the right, assisting this movement by stepping forward with the left foot, advancing the left hip and drawing back the right. This allows the knife to pass harmlessly but to ensure that it does so, you push the attacker’s forearm away to your right with your own right forearm with your hand down and if you ward off the blow with a sharp cutting movement from the honey part of your forearm the pain will probably disarm him. Now that the immediate danger has passed the time has come to apply a counter. Grip the attacker’s wrist or forearm with your right hand by sliding it over his arm and help it to continue in the direction of its thrust at the same time you should make turn to your right pivoting on the ball of your left foot and. bringing your left hand down on your opponent’s right elbow to disable it. Alternatively. if you wish you can continue the pull to his front with your right arm and maintain the downward pressure with your left until he is forced to the ground where you can finish him with a blow or an arm lock or simply disarm him.

At first you may find difficult grasp your opponent’s right arm after you have parried his blow. Actually ‘it is quite simple if you parry with your right arm so turned that you use the sharp edge of your forearm with your palm turned towards you, fingers downward. Now you should find it easy to slip your hand over the top of his arm and obtain a grip. Even should you still find this difficult at first, practice will overcome the problem.

An alternative counter to this form of attack is to use a Hip Throw. Step in with your left foot and parry his arm with your left forearm, to your left. You will find that your step in and the momentum provided by his own effort, will bring him close to you and you will be ~n an ideal position to slip your left arm round his waist, pivot on your right foot, to your right and apply a hip throw on the reverse side. Similarly a hip counter to the normal side, turning to your left, can be used.

Wing Chun Article by,
Sifu Sonu Kumar’s Wing Chun Academy
Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, India.
Aim of Article : Only improvement in technique who is the practitioner of martial Art / Kung Fu / Wing Chun.

 

Padmasana is a boon for heart patients (हृदय रोगियों हेतु वरदान है पद्मासन)

वर्तमान सदी में मानवो में ह्रदय विकार का बड़े तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, पर हम योग द्वारा इस रोग पर नियंत्रण कर सकते है, योग का एक अचूक आसान – पद्मासन हमें इस विकार से दूर रख सकता है.
‘पद्म का अर्थ है कमल। जब पद्मासन किया जाता है तो वह कमल के समान दिखाई देता है। इस आसन को ‘कमलासन के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान एवं जप के लिए पद्मासन मुख्य आसन माना जाता है। यह आसन स्त्री एवं पुरूष दोनों के लिए ही अनुकूल माना जाता है।
पद्मासन के दो प्रकार होते हैं जिन्हें पद्मासन एवं बद्घपद्मासन के नामों से जाना जाता है। इस आसन के करने से अनेक फायदे होते हैं। मुख्य रूप से दमा, अनिद्रा, हिस्टीरिया, शरीर की स्थूलता, घुटनों एवं टखनों के दर्द, जठर, यकृत, पेट दर्द के साथ ही हृदयगत अनेक रोगों को दूर करने के लिए पद्मासन का अभ्यास किया जाता है।
पद्मासन को करने के लिए दोनों पैरों को फैलाकर सीधे बैठ जाइए। उसके बाद दायां पैर बांए पैर की जांघ पर और बायां पैर दाएं पैर की जांघ पर रख दीजिए। कई लोगों को पहले दाईं जांघ पर बायां पैर और फिर उसके बाद बाईं जांघ पर दायें पैर को रखते हैं।
सहूलियत के अनुसार जांघ पर पैर को रखकर बैठ जाइए और दोनों हाथों के अंगूठों को तर्जनियों के साथ मिलाकर बायां हाथ बाएं पैर के घुटने पर और दायां हाथ दाएं पैर के घुटने पर रख दीजिए।
इसके बाद मेरूदण्ड और मस्तक सीधी रेखा में रखिए। आंखों को बंद या खुला रखिए और सांसों को धीमी गति से लेते छोडते जाइए। आंखों को बंद करके ध्यान मुद्रा धारण कर लीजिए। लगभग १०-१५ मिनट तक इसको करना चाहिए। प्रारंभ में कुछ परेशानी अवश्य हो सकती है परन्तु अभ्यास करते रहने से पद्मासन की यह मुद्रा सरल हो जाती है।
पद्मासन का दूसरा प्रकार बद्घ पद्मासन होता है। यह पद्मासन से कुछ कठिन होता है। यह आसन ध्यान के लिए नहीं होता किंतु स्वास्थ्य के सुधार के लिए एवं शरीर को सशक्त एवं सुदृढ बनाने के निमित्त होता है। इस आसन का अभ्यास क्रमश: धीरे-धीरे करना चाहिए।
बद्घ पद्मासन करने के लिए पैरों को जांघों पर क्रमश: चढाइए। पैरों को इतना ऊंचा रखिए ताकि वे पेट के नीचे वाले हिस्से को छूते रहे। इसके बाद दाएं-बाएं दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाइए। दाएं हाथ से दाएं पैर तथा बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड लीजिए। पैरों के अंगूठे पकडते समय कठिनाई पडती हो तो आगे की ओर झुक कर अंगूठे को पकिडए और अंगूठे पकडने के बाद फिर से सीधे हो जाइए।
इस स्थिति में आने के बाद सांसों को धीरे—धीरे चलाते रहिए। एक-दो मिनट से प्रारंभ करके इसे क्रमश: दस मिनट तक पहुंचाया जा सकता है। प्रारंभ में कठिनाई तो होती है परन्तु धीरे-धीरे सामान्य होता चला जाता है। इस आसन के करने से कमर, पेट, हृदय आदि पर दबाव पडता है। इससे उन स्थलों की नािडयां तनावमुक्त होकर पूर्ण स्वस्थ हो जाती हैं। इसके प्रभाव से स्तन एवं गुप्तांगों की नािडयां भी सक्रिय हो जाती हैं तथा रक्त का संचरण अच्छी तरह से होने लगता है। पद्मासन से निम्नांकित लाभ होता है।
• पद्मासन के नियमित अभ्यास से हृदय के रक्तसंचार की क्रियाओं पर अच्छा प्रभाव पडता है और हृदय से संबंधित अनेक बीमारियां स्वत: ही समाप्त होने लगती हैं।
• इस आसन के अभ्यास से दमा, अनिद्रा, हिस्टीरिया जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं। अनिद्रा के रोगियों के लिए तो यह आसन अमोघ साधन है।
• हृदय के रोगियों के लिए अनिद्रा काफी खतरनाक मानी जाती है। अनिद्रा दूर करने के उपायों में यह सबसे अच्छा उपाय होता है।
• यह आसन शरीर की स्थूलता कम करने में भी सहायक है। इस आसन से जीवनशक्ति की वृद्घि होती है।
• इस आसन में दोनों घुटनों और टखनों के जोडों पर वजन पडता है जिससे पैरों के जोड सुदृढ बनते हैंं।
• इस आसन से दोनों पैरों की एिडयों को भी सम्पूर्ण व्यायाम मिलता है जिससे नितम्ब सम्पुष्ट होते हैं।
• इस आसन के लगातार करते रहने से हृदय, फेफडे, जठर, यकृत और मेरूदण्ड की अशक्ति धीरे-धीरे दूर होती है। स्तनों का विकास होता है तथा यौन शक्ति की वृद्घि भी होती है।
• इस आसन के करने से अपच, अफारा, पेट का दर्द, अजीर्ण आदि रोग मिट जाते हैं। हृदय रोगियों को इस आसन को नियमित करके फायदा उठाना चाहिए।

श्री सोनू कुमार गिरी (Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, India)
सौजन्य गोल्डन इंडिया

 

Lap Sau In Wing Chun System

Lap Sau in Wing Chun System:-

Wing Chun is a Chinese martial arts and well known as a Chinese boxing, basically wing chun’s maximum techniques are based on hand movements, wing chun system have many blocking and technique. i.e. lap sau. An elegant rolling and rising hand (bong sau block) that deflects upwards with accurate angle a center line punch to the face. The horizontal blocking forearms rotted as it rises. Increasing deflection energy. Attempt to poke at a spinning drum with a stick will show how the principle works. Mid-section blocks generally use the forearms because they are fairly long sweep a wide area clear, whereas hands are seldom longer than 220 mm, so blocks which use them must be very accurate. Forearm blocks use a windscreen wiper action, striking the attacker’s forearms with the thumb-side of your wrist. Alternatively they use a clubbing action that swings your forearms into the side of centerline punch.

Advantages of the lap sau :  Circular blocks sweep a very wide area and can be effective against all types of attack. Their principle can be illustrated by straightening both arms and then circling them in opposite direction across the front of your body and face.

Important :  use the forearm in an upwards rolling manner to deflect an attack. This is an effective short range block, Wing Chun Blocking system.

Although this technique is very effective in real life for self-defense and has many advantages, as we use this technique, we are neglected on the reaction, because we have absolute control over the opponent. This technique does not let the opponent escape from us, etc.

Lap sau technique is very important technique among the basic techniques of Wing Chun, which must be practiced well.

Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, India Team.

Siu Lim Tao

Siu Lim Tao:-

Siu Lim Tao is the first form of Wing Chun kung fu system. Siu Lim Tao means “The Little Idea for beginning”. This is Seed of Wing Chun kung fu. It is also called as foundation of Wing Chun system, foundation of correct stance, correct hand position and basic fundamental techniques.

Siu Lim Tao is taught in three different part, each part has its own significance.

First Part: First part mainly focus on developing good and stable posture or stance, relaxation, and developing “chi Energy”. The first part is perform as slowly as possible and effortlessly which mean while performing you should be slow, stable, awake, focused and without using muscle power. This part is also considered as preparatory steps for Chi Meditation. At the initial level it is practiced without acknowledging our breath and focus only on movements and hand position. Once we have stable posture and mastered the relaxation technique taught earlier then we can practice the same first part focusing on our breath. As we start practicing first  part concentrating on our breath, we experience different feeling related to energy at different level of practice. It is very common that few student feel warmth or cold depending on individual practice and aura. This is the base and more importance should be given to this part as compared to other. Most of the student feel swinging in air when practiced with closed eyes. Every student feels it differently depending how he practice on day to day basis.

The first part give more importance on Centerline punch, its position, placement, grabbing and how it should be executed. Apart from that this part put more emphasis on Tan Sau, Fuk Sau and Huen Sau as well and teaches the student to its correct placement and movement.

One can learn and master these movement under the guidance of qualified Wing Chun instructor and reap the benefits of it.

Second part: Second section explain the release of power which was created in first section. We start with both hands at a time while maintaining a balanced structure. More emphasis is taken on releasing power while keeping our body completely relaxed. This part teaches the student that how and when to release energy. This is very important step as without the knowledge of this part one cannot become an effective practitioner.

Third part: Third section teaches the basic technique of Wing Chun and all the techniques are performed by one hand at a time while keeping other hand relaxed.

This form is a single man fighting system and teaches the student as how to simultaneously defend and attack a single attacker. This form put more focus on centerline attack and defense without any footwork or movement of body.

Article By Shri Suresh Jaiswar,

Wing Chun Kung Fu Martial Art Academy, Mumbai.

 

Hello world!

Welcome to WordPress. This is your first post. Edit or delete it, then start writing!