हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
आज जिसे देखो ‘हाई ब्लड प्रेशर की दवा ले रहा है। क्या पुरूष क्या स्त्री, यहां तक कि बच्चों में भी यह रोग पाया जाने लगा है। सब आधुनिक जीवन की देन है। आज पैसा है, ऐशोआराम है, तेज गति है। सुविधाओं का अंत नहीं। आंखें चुंधियाती चकाचौंध हैं, गलाकाट प्रतियोगिताओं की मारामारी और है प्रकृति के नियमों का अविवेकपूर्ण उल्लंघन। ऐसे में सुकून ही एक ऐसी नायाब वस्तु है जिसकी चाह हर एक को है लेकिन जो जीवन से लुप्त हो चला है।
मशहूर हृदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर विमल छाजेर के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर का मुख्य कारण स्ट्रैस है। जैसे ही व्यक्ति सुकून से भरा होता है, ब्लड प्रेशर नीचे आ जाता है। कम कार्य हो, समय का दबाव न हो, एक सुखी संतुष्ट पारिवारिक जीवन हो, निन्यानवे का फेर न हो, व्यक्ति अहम् से बौराया न हो और ईश्वर में आस्था हो, यही हाई ब्लड प्रेशर के लिये सबसे अच्छा यानी कि बेस्ट प्रेस्क्रिप्शन है।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण :-
. असमंजस, कनफ्यूजन और थकान
. उल्टी जैसी फीलिंग और पेट की गडबडी।
. दृष्टि में बदलाव या समस्या
. अत्यधिक पसीना आना
. पीलापन या ललाई
. नाक से खून आना
. बेचैनी (नर्वसनेस)
. धडकन का तेज या असामान्य होना
. कानों में घंटी सी बजना
. इम्पोटेंस
. सिरदर्द
. सिर घूमना, चक्कर से आना
डेश डायट :- डेश डायट का मतलब है डायटरी एप्रोचेज टू स्टॉप हाइपरटेंशन। यानी कि हाइ ब्लड प्रेशर को रोकने के लिए अपनी डायट को ठीक रखना। इसमें जो डायट का सुझाव दिया जाता है वह है अनाज, दाल, फल, सब्जी और कम वसा युक्त डेयरी प्रॉडक्ट्स डबल टोन्ड मिल्क या चिकनाई हटाकर दूध से बनी चीजें।
डेश डायट लेने से आपका ब्लड प्रेशर मेंटेन रहेगा और आपका कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लाइसेरिड लेवल मेंटेन रहेगा। आपके शरीर का वजन मेंटेन रखने में ये सहायक होगा।
आपके रक्त में ग्लूकोज लेवल मेंटेन रहेगा। अस्थियों के रोग से बचाव होगा।
डेश डायट में कम वसायुक्त डेयरी प्रॉडक्ट्स जो कि कैल्शियम युक्त होते हैं, शामिल हैं। ये हाई ब्लड प्रेशर को कम करते हैं। विभिन्न स्टडीज से पता चलता है कि भरपूर कैल्शियम लेने से हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है।
कुछ अन्य बातें जिनको आपको अपना हाई ब्लड प्रेशर नॉर्मल रखने के लिये ध्यान रखना होगा वे हैं :-
सर्वप्रथम खाने में नमक की मात्रा कम कर दें। दाल या सब्जी में अतिरिक्त नमक कभी न डालें। सलाद में नमक की बिल्कुल जरूरत नहीं होती। पापड अचार, चटनी, प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।
जैसा कि ऊपर लिखा गया है हाई ब्लड प्रेशर में कैल्शियम मुफीद है, इसलिए कम से कम ८०० मिलीग्राम कैल्शियम अवश्य लें। यह तीन कप दूध से प्राप्त हो जाता है।
लहसुन की ३-४ कलियां प्रतिदिन लेने से भी ब्लड पे्रशर ठीक रहता है।
प्रतिदिन २० ग्राम फाइबर लेने से कोलेस्ट्रॉल में भी कमी आती है और बी पी भी घटता है। आहार में फाइबर, चोकर वाले आटे की रोटी, दाल, फल जैसे सेब, आम, केले, आडू इत्यादि तथा ओटमील दलिया कॉर्न से प्राप्त हो सकता है।
अपने आहार में विटामिन सी की मात्रा बढाएं। ये अमरूद, आंवला, हरी मिर्च, टमाटर तथा खट्टे फलों में पाया जाता है। बी.पी कम करने के लिए विटामिन सी की टेबलेट भी ली जा सकती है।
रिसर्च दर्शाते हैं कि पोटेशियम भी बी.पी लो करता है। अमेरिकी डायटीशियन जेम्स वेल्स की मानें तो हाई ब्लड प्रेशर की प्राब्लम वालों को कम से कम २०० मिलीग्राम पोटेशियम रोज लेना चाहिए। एक आलू में ८४४ मिलीग्राम और एक केले में ४५१ मिलीग्राम पोटेशियम है। संतरा और दूध में भी काफी पोटेशियम होता है।
उच्च रक्तचाप (हाई बी पी) चूंकि लाइफस्टाइल से जुडी बीमारी ज्यादा मानी जाती है तो इससे संबंधित कुछ बातों को भी ध्यान में रखा जाए तो अच्छा होगा।
हंसना अच्छे स्वास्थ्य का पासपोर्ट है। ऐसी फिल्में प्रोग्राम्स सीरियल्स देखिए जो आपको हंसी से दोहरा कर दें। तनाव कम होगा तो बी पी भी कम होगा।
क्रोध बी पी का दुश्मन है। चीखने चिल्लाने, टैंपर लूज करने से बी पी एकदम बढता है। बोली में मिठास घोलकर मुलायम स्वर में बोलने की आदत डाल लेंगे तो झगडे भी कम होंगे और क्रोध भी दूर रहेगा।
एरोबिक व्यायाम बी.पी से बचाता है। तनाव दूर करता है। मनोवैज्ञानिक डॉक्टर सिगमैन के अनुसार पूरे दिन में कम से कम आधा घंटा सिर्फ अपने लिए निकालिए। इस समय आप अपना मनपसंद कुछ भी काम कर सकते हैं बशर्ते उससे आपका मनोरंजन हो और आप रिलेक्स फील करें।
रिसर्च बताते हैं कि मोटापा कम करने से बी पी लो होता है। एक स्टडी के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर के ५० प्रतिशत पेशेंट्स को वजन कम करने के बाद दवा लेने की जरूरत ही नहीं रही।
तनाव आधुनिक जीवन का एक हिस्सा बन चुका है अब यह आप पर निर्भर करता है आप इसे कैसे मैनेज करें। लगातार काम न करें। इसी तरह टीवी के आगे घंटों चिपके न बैठे रहें बीच में ब्रेक लेना, थोडा हल्का फुल्का व्यायाम या आंखें मूंद कर रिलेक्स करना अच्छा रहेगा।
आजकल मेडिटेशन की अहमियत भी लोग खूब समझने लगे हैं। यह एक अच्छा साइन है। ध्यान से चित्त शांत होता है। एकाग्रता लाने के लिए मन को साधना जरूरी है और ये ध्यान, मेडिटेशन से संभव हो सकता है।इन बातों का अगर ध्यान रखा जाए तो कोई कारण नहीं कि आपका बी पी १२०/८० ना बना रहे।
-डॉ. पंकज यादव