शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में दवाओं से अधिक सहायक है योग का नियमित अभ्यास। दवाएं हम मुख्यत: रोगग्रस्तता की स्थिति में उससे मुक्ति पाने के लिए ही लेते हैं। हां, आयुर्वेद में कुछ रसायन और अन्य दवाओं का विधान कुछ विशेष प्रकार के रोगों से शरीर को दूर रखने के लिए किया गया है।
आयुर्वेद में ‘स्वस्थ वृत्त’ का भी विधान है जिसके अनुसार स्वास्थ्य के लिए हितकारी जीवनचर्या पर जोर दिया जाता है। योग एक ऐसी तकनीक है जिसके सहारे हम शरीर को बहुधा निरोग बनाए रख सकते हैं। प्राचीन काल के तपस्वी अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मुख्यत: योग का ही तो आश्रय लेते रहे है।
आए दिन यद्यपि वैज्ञानिक खोजों ने योग की रोग-प्रतिरोध क्षमता बहुत अंश तक प्रमाणित की है और कई देशी-विदेशी केंद्रों में ऐसी खोजें जारी हैं तो भी हमारे अस्पतालों में योग चिकित्सा के लिए कोई प्रावधान नहीं। यह कैसी विडंबना है।
योग की यह खासियत है कि इसका नियमित अभ्यास करने के लिए न कोई खर्चीला उपकरण आवश्यक है, न ही ज्यादा समय। हर दिन करीब आधा घंटा योग के लिए रख लीजिए। कुछ सामान्य योगासन जैसे-भुजंगासन, नौकासन, धनुरासन, सर्वांगासन और मत्स्यासन, प्राणायाम और थोडा सा ध्यान कीजिए। आपको एक विशेष प्रकार की फुर्ती का अनुभव होगा। योगासनों की यह विशेषता है कि वे मांसपेशियों को ही नहीं, अपितु पैन्क्रियास, किडनी जैसे आंतरिक अवयवों को भी उचित व्यायाम प्रदान करते हैं। उनमें रक्त का पर्याप्त मात्रा में संचरण करते हैं। प्राणायाम से फेफडों को भी उचित विकास मिलता है। ध्यान से मानसिक मैल भी धुल जाते हैं। मन हल्का हो जाता है। मानसिक तनाव दूर हो जाता है। मन भी स्वस्थ बना रहता है।
यही नहीं, वैज्ञानिक खोजों ने विविध रोगों की चिकित्सा के लिए योगासनों प्राणायामों आदि के विविध पैकेज बनाए हैं जो रोग की शारीरिक-मानसिक स्थितियों के बिल्कुल अनुरूप और अनुकूल हैं। तिरूवनन्तपुरम मेडिकल कॉलेज के होलिस्टिक विभाग में योग चिकित्सा भी प्रारंभ हुई है। कुछ विशेष प्रकार के रोगियों को दवा देते हुए योग में भी लगा देते हैं। ज्यों-ज्यों योग के लाभ दृष्टिगत होने लगते हैं त्यों-त्यों दवा की मात्रा कम करते जाते हैं। पन्द्रह पन्द्रह दिनों के योग-अभ्यास पाठ्यक्रम पूरा करने वालों की प्रत्येक की मांग के आधार पर विशेष रोगों के लिए निर्धारित विभिन्न पैकेज में भी लगा देते हैं।
आज जबकि करोडों रूपए जनता की स्वास्थ्य रक्षा के लिए सरकार लगा रही है, क्यों न हर अस्पताल में योग चिकित्सा का भी थोडा बहुत प्रबंध हो?
धन्यवाद ।