एक बार घूमने के लिए पति-पत्नी एक गधे पर बैठ कर निकले घूमते-घूमते कुछ ही दूरी पर पहुंचे ही थे कि उसी वक्त दो आदमियों ने देखा और कहा कि कितने निर्दयी मनुष्य है, बेजुबान बेचारे गधे पर बैठे है। यह सुनकर पत्नी को बुरा लगा और वह गधे पर से उतर गई और पत्नी पैदल चलने लगी। आगे थोडी ही दूरी तय की थी की कुछ और लोगो ने देखा और कहा कि यह कैसा पती है कि स्यंम गधे पर बैठा है और पत्नी को पैदल चला रहा है। यह सुनकर पति ने पत्नी को गधे पर बैठा दिया और स्यंम पैदल चलने लगा,कुछ दूरी तक की ही थी तब कुछ और व्यक्ति मिले तब उन्होने कहा कि यह कैसी पत्नी है। जो खुद गधे पर बैठी हैं, और पति पैदल चल रहा है यह सुनकर पति - पत्नी दोनों पैदल ही गधे के साथ चलने लगे। आगे चलते ही कुछ और व्यक्ति मिले वे जोर-जोर से हंसने लगे और कहने लगे कि अजीव मुर्ख पति-पत्नी है। जो गधा साथ में हो कर भी पैदल चल रहे हैं।
सीख:- हर इंसान की सोच अलग-अलग होती है, इंसान को हर बात को सुनने के वाद सोच समझ कर फैसला लेना चहिए।
कुछ समय पहले भारत में पाँच अंधे व्यक्तियों ने एक हाथी को स्पर्श किया सभी लोगों ने हाथी को हाथों से स्पर्श किया और हाथी के बारे में पांचों अंधों ने जानकारी दी कि:- पहले व्यक्ति ने हाथी के कानों को स्पर्श किया और कहा कि हाथी एक बडे बृक्ष की पत्ती के समान है। दूसरे व्यक्ति ने हाथी के शरीर को स्पर्श किया और कहा कि हाथी विशाल पर्वत के समान है। तीसरे व्यक्ति ने हाथी के पूछ को स्पर्श किया और कहा कि हाथी एक रस्सी के समान है । चौथे व्यक्ति ने हाथी के पैरों को स्पर्श किया और कहा कि हाथी पेड़ के तने के समान है। पांचवे व्यक्ति ने हाथी के सूड को स्पर्श किया और कहा कि हाथी मुलायम और लम्बी शर्प के समान है।
सीख:- अपने हुनर को खुद पहचानो और समझने की कोशिस करो ।
एक दिन मार्शल आर्ट सीखने के लिए एक छात्र मार्शल आर्ट टीचर से मिला और टीचर से पूछा कि आप हमें मार्शल आर्ट कितने दिनों में सिखा दोगें, टीचर ने कहा कि १० साल में । छात्र कुछ समय तक सोचा और फिर कहा अगर कठिन एवं अच्छे तरीके से मेहनत किया तो? टीचर ने जबाब दिया कि २० साल । फिर कुछ समय तक वह छात्र सोचता रहा और फिर मार्शल आर्ट टीचर से प्रश्न किया कि आप हमें पूरे दाव-पेच कितने सालों में सिख दोगे, तब टीचर ने कहा कि ३० साल में या और भी ज्यादा ।
सीख:- पढऩे की सीखने की कोई उम्र नहीं होती है । कितने ही समय तक शिक्षा ली जा सकती हैं शिक्षा का कोई अंत नहीं होता ।.